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आहार जीवन का आधार है। प्रत्येक प्राणी  के जीवन के लिए आहार आवश्यक है। स्वस्थ् और  सक्रिय जीवन के लिए मनुष्य को उचित एवं पर्याप्त पोषक तत्वों की आवश्यक्ता  होती है। संतुलित आहार ही  स्वस्थ शरीर एवं सक्रिय जीवन शैली की नीव रखते हैं। शरीर की आहार सम्बन्धी आवश्यकताओं के अनुसार  पोषक तत्वों की प्राप्ति के लिए अच्छा पोषण या उचित आहार सेवन महत्वपूर्ण है। सही भोजन न होने से रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है और रोगों  के प्रति संवेदनशीलता ( रोग होने की संभावना ) बढ़ जाती है तथा शारीरिक एवं मानसिक विकास बाधित होता है। आजकल  FAST FOODS  के अधिक सेवन एवं संतुलित भोजन का उचित  मात्रा में सेवन न करने से कई प्रकार के रोग हो रहें  हैं।  जैसे  मोटापा (obesity ) , कुपोषण (malnutrition ) , मधुमेह (Diabetes ) , उच्चरक्तचाप  (hypertension ), हृदय रोग  (heart diseases), ऑस्टियोपोरोसिस (osteoporosis), सफ़ेद दाग (Leucoderma )आदि।

सफ़ेद दाग के बनने में  विरुद्ध आहार  मुख्य  कारण

सामान्य व्यक्तियों की त्वचा में स्थित मेलानोसाइट् कोशिकायें ( Melanocyte cells) , काला रंग - मेलेनिन पिगमेंट  ( Melanin pigment ) को  बनाती हैं। जब  त्वचा में स्थित मेलानोसाइट् कोशिकायें ( Melanocyte cells)  नष्ट होने लगती हैं तो  त्वचा में  काला रंग – मेलेनिन  पिगमेंट( Melanin pigment ) का  बनना कम हो जाता है और त्वचा पर सफेद दाग बनने शुरू हो जाते हैं। इसे ही ल्युकोडर्मा   ( Leucoderma)  या विटिलिगो ( Vitiligo ) के नाम से भी जाना जाता है। हालांकि यह स्थिति आमतौर पर शारीरिक रूप से कष्टदायक  नहीं  है  किंतु इसके मनोवैज्ञानिक एवं सामाजिक प्रभाव ज्यादा दिखाई देते हैं। इस  रोग से ग्रसित व्यक्ति निराश एवं हताश दिखाई देता है तथा हीन भावना से ग्रसित होता है।

आयुर्वेद के  अनुसार  सफेद दाग के कारणों में विरुद्ध आहार  एक  मुख्य कारण  है।  कुछ दशकों पहले हमारा खान-पान एवं रहन सहन बहुत सादा और  सरल होता था। अनाज , दाल ,फल , सब्जियां आदि ताजी प्रयुक्त होती थी और  ताजा  पकाया खाना ही  खाया जाता था , किंतु अब  फ्रिज  या कोल्ड स्टोरेज यूनिट्स में लंबे समय तक रखी  हुई  भोज्य सामग्री प्रयोग की जाती है जो हमारे शरीर को नुकसान पहुंचाती है। आज के युग में  PROCESSED FOODS  का उपयोग  बढ़ गया  है जिनमें  काफी मात्रा में केमिकल्स का प्रयोग होता है जैसे  कोल्ड  ड्रिंक्स ,टेट्रा पैक फ्रूट जूस , मैदा युक्त बिस्किट, भारी मात्रा में स्टार्च युक्त आहार द्रव्य आदि जिन्हें  कई महीनों तक सुरक्षित रखने के उद्देश्य से कई तरह के रसायनों  (preservatives ) का प्रयोग किया जाता है।  इस प्रकार की खाद्य सामग्री में उपस्थित chemicals  हमारे शरीर में जाकर धीरे-धीरे पाचन तंत्र, यकृत (Liver), pancreas ,endocrine glands ( अंतः स्रावी ग्रंथियां ) आदि को प्रभावित करते  हैं  जिससे शारीर- क्रिया (physiology ) बिगड़ जाती है और शरीर को हानि पहुंचती है । ये  अनेक मेटाबॉलिक बीमारियों (metabolic  diseases )  को जन्म देते हैं। यह त्वचा में बनने वाले मेलानिन पिगमेंट ( Melanin pigment ) को नष्ट करते हैं और सफेद दाग बनने लगता है।

सफ़ेद दाग  से पीड़ित  बच्चों में फास्ट फूड्स ( पिज़्ज़ा ,बर्गर ,कोल्ड ड्रिंक्स आदि ) का अधिक मात्रा में सेवन पाया गया है। वयस्कों ( adults ) में भी देखा गया है कि वे  एक साथ में कई तरह की भोजन सामग्री का सेवन करते हैं जैसे पार्टियों में कोल्ड ड्रिंक्स और  टी या कॉफी का कम समय अंतराल पर सेवन करते हैं।  खट्टे- चटपटे भोजन के  तुरंत बाद दूध ,आइसक्रीम, कुल्फी का सेवन तथा मछली ,अंडा  एवं चिकन आदि का साथ साथ सेवन करना। इस प्रकार के विरुद्ध आहार से हमारे शरीर का  मेटाबॉलिज्म ( metabolism)  बिगड़ता है जिससे toxins (जिन्हें आयुर्वेद में आम रस  कहा गया है) की  उत्पत्ति होती है और यह कई बीमारियों को जन्म देती है जैसे  खाना समय पर नहीं पचना , पेट मे गैस बनना , बार - बार मल त्याग की इच्छा होना, गठिया , सफेद दाग आदि।

 उद्योग एवं  कारोबार  में काफी विकास होने के कारण  अब लोगों के जीवन शैली में बहुत परिवर्तन हो गया है लोगों को अक्सर बाहर  होटल , रेस्टोरेंट आदि  का पका हुआ खाना लेना पड़ता है क्योंकि उनके पास समय की कमी होती है। होटल आदि का पका हुआ खाना जिनमें स्वाद के लिए अधिक मात्रा में  तेल , मसाले और दूसरे केमिकल्स ( अजीनोमोटो  आदि ) का प्रयोग होता है जो शरीर के लिए हानिकारक होता है। इस प्रकार विरुद्ध आहार  शरीर की रोग प्रतिरोधक शक्ति (immunity ) को दुष प्रभावित करते हैं और रोग  को  बढ़ा देते हैं  तथा असाध्य भी  बना देते हैं।  

 

बचाव

 सफेद दाग के रोगियों को एवं स्वस्थ व्यक्तियों को बीमारी से बचाव के लिए अपने आहार विहार में सुधार करना चाहिए जैसे उचित समय पर भोजन करें, गर्म और ठंडा भोजन का  कम समय अंतराल पर  सेवन  न  करें , भोजन के तुरंत बाद चाय या  कॉफी का सेवन न करें , खट्टे चटपटे पदार्थों  एवं मांस- मछली आदि के खाने के बाद तुरंत दूध का सेवन न करें, ताजा भोजन ही खाने में उपयोग  करें , फास्ट फूड - कोल्ड ड्रिंक्स आदि के उपयोग से बचें। बच्चों को ताजे फल ,सब्जियाँ एवं  फाइबर युक्त अनाज  के सेवन से होने वाले लाभ  बता कर  उन्हें प्राकृतिक वस्तुओं के सेवन लिए  प्रोत्साहित करें।

उपचार

  आयुर्वेदिक चिकित्सा ही इस रोग में पूर्णतयः लाभकारी है।आधुनिक चिकित्सा पद्धति (Modern medical science) के अनुसार यह एक असाध्य रोग है परंतु  आयुर्वेद में इसे कृच्छसाधय  (difficult to cure )  माना  गया है। सफ़ेद दाग को  उचित आहार-विहार और आयुर्वेदिक चिकित्सा  से  ठीक किया जा सकता है।

उपचार के घरेलू नुस्खे :-

* नीम एवं  तुलसी की पत्तियों को पानी में उबालकर पीना

* लौकी, गाजर, चुकंदर एवं एलोवेरा का जूस प्रतिदिन पीना

*  गिलोय का जूस या गिलोय को पानी में उबालकर उस पानी को पीना

*  काले चने एवं ड्राई फ्रूट्स का सेवन,

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